रुचि के स्थान
महावीर दिगम्बर जैन मंदिर
फ़िरोज़ाबाद से लगभग 8 किलो मीटर दूर जैन मंदिर की स्थापना स्वर्गीय सेठ छि दामी लाल जैन द्वारा की गई थी मंदिर के हॉल में भगवान महावीर जी की सुन्दर मूर्ति पदमासन की मुद्रा में स्थापित है , इस सुन्दर व् विशाल मंदिर में 2 मई 1976 में 45 फीट लंबी और 12 फीट चोडी भगवान वाहुवलि स्वामी की मूर्ति स्थापित की गई है मूर्ति का वजन कुल 130 तन है यह उत्तरी भारत की पहली तथा देश की पाँचवी बड़ी प्रतिमा है एवम् चंद्रप्रभु की सुन्दर प्रतिमा भी स्थापित है सम्पूर्ण भारतवर्ष से जैन मतावलंबी महावीर दिगंबर जैन मंदिर के दर्शनार्थ हजारो की संख्या में प्रति माह आते रहते है।
चंदवार गेट
फ़िरोज़ाबाद से लगभग 13 किलो मीटर दूर यमुना तट पर चंदवार वसा हुआ है यहाँ पर मोहम्मद ग़ोरी एवम् जयचंद का युद्ध हुआ था। जैन विद्वानों की यह मान्यता थी कि ये कृष्न भगवान कृष्न के पिता वासुदेव द्वारा शसित रहा है कहा जाता है कि चंदवार नगर की स्थापना चंद्रसेन ने की थी। यमुना नदी ग्राम से होकर बहती है जहां चंद्रसेन के वंशज चंद्रपाल द्वारा बनवाए किले के अवशेष खंडहर इनकी विशालता एवं वैभव की कहानी कहते हैं पुरातात्विक दृष्टिकोण से चंद बार एक महत्वपूर्ण स्थान है सूफी साहब की दरगाह से लगभग 1 किलोमीटर दूर दक्षिण की ओर यमुना नदी के किनारे राजा चंद्रसेन के किले का टीला स्थित है इस टीले पर एक छोटी इमारत खड़ी है जिसके नीचे के भाग की हिट निकल रही है ऊपर आने के लिए एक जीना है जिसकी सीढ़ियां टूट गई है पानी से पीला कहीं-कहीं कट गया है ऐसी किवदंती है कि टीले पर दूब घास नहीं होती जबकि खाई के बाहरी और यह खास उगती हैं|
मार्सल गंज जैन मंदिर
फिरोजाबाद शहर से फरहा में जैन मंदिर लगभग 21 किलोमीटर दूर है। यह श्री मार्सल गंज (ऋषभ नगर) दिगंबर जैन अतीश तेर्थ क्षेत्र है। मुख्य देवता भगवान आदिनाथ की आइडल है। मंदिर परिसर स्वच्छ बनाए रखा है। यह एक पुराना मंदिर परिसर है।
सूफी साहब मज़ार
फ़िरोज़ाबाद से लगभग 15 किलो मीटर दूर दक्षण में यमुना के किनारे सूफी शा ह का मकबरा है जहाँ प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा उर्श भी होता है उक्त स्थल पर सूफी शाह की मजार पर नगर के मुस्लिम व् हिन्दू श्रद्धा से मेले में सरीक होते है।
बाबा नीम करोरी महाराज
फ़िरोज़ाबाद से 500 मीटर दुरी पर बाबा नीम करोरी महाराकी भी जन्म स्थली है जिनके धार्मिक मंदिर देश में ही नहीं अपितु विदेशो में भी बने हुए है। यहाँ प्रतिवर्ष भंडारा होता है एव श्रदालु हजारो की संख्या में बाबा का प्रसाद ग्रहण करते है और उनका आशिर्वाद भी प्राप्त करते है।
वैष्णो देवी मंदिर
फ़िरोज़ाबाद से लगभग 4 किलो मीटर दूर पर मंदिर बना हुआ है यहाँ कोई भी सच्चे मन से मांगी गई मन्नत पूरी होती है यहाँ प्रतिवर्ष नवदुर्गो में मेला लगता है और हजारो की संख्या में बड़ी दूर दूर से श्रदालु माता के दर्शन के लिए आते है और अपनी मन्नते पूर्ण करने के लिए मांगते है एव लेजा भी काफी संख्या में यहाँ चढ़ाये जाते है।
राजा का ताल
फ़िरोज़ाबाद से लगभग 2 किलोमीटर दूरी पर राजा का ताल बसा हुआ है फिरोजाबाद गजेटियर द्वारा राजा के ताल का निर्माण सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक मंत्री राजा टोडरमल ( राजस्व मंत्री)द्वारा कराया गया था आगरा मार्ग के किनारे लाल पत्थर से बना बड़ा राजा का ताल राजा टोडरमल का स्मरण कराता है इस ताल के विषय में एक रुचिकर तथ्य है कि यहां ताल के मध्य में पत्थर का बना एक मंदिर है जहां एक बांध पुल द्वारा पहुंचा जा सकता है परंतु वर्तमान में अब यह ताल नाम मात्र का रह गया है और यहां पर ज्यादातर मकान बन चुके हैं परंतु कहीं कहीं पर लाल ककरी की दीवार नाममात्र के रूप में नजर आती है |
फिरोजशाह का मकबरा
टूंडला फ़िरोज़ाबाद से लगभग 9 किलो मीटर दूर नगर निगम फ़िरोज़ाबाद के सामने फिरोज शाह का मकवरा 16वी सताब्दी का निर्मित बताया जाता है। इस मकबरे में ख़वाजा मुग़ल सेनापति फ़िरोज़शाह की कब्र है उ0प्र0 वफ बोर्ड द्वारा मकवरे की देखवाल की जा रही है।
शाही मस्जिद
फ़िरोज़ाबाद से लगभग 9 किलो मीटर दूर आगरा गजेटियर के अनुसार नगर की सबसे प्राचीन शाही मस्जिद जोकि वर्तमान में कटरा पठानान में है का निर्माण शेरशाह सूरी ने कराया था।
गोपाल आश्रम
फ़िरोज़ाबाद से लगभग 0.5 किलो मीटर दूर सेठ रामगोपाल मित्तल द्वारा बाई पास रोड स्थित आश्रम का निर्माण 1953 में कराया आश्रम में 57 फीट ऊँची हनुमान की प्रतिमा स्तापित है इस आश्रम में एक विशाल सत्संग भवन है यहाँ पर प्रतिदिन सत्संग होता है।
श्री हनुमान मंदिर
फ़िरोज़ाबाद से लगभग 0.5 किलोमीटर दूरी पर मराठा शासन काल में श्री वाजीराव पेशवा द्वतीय द्वारा इस मंदिर की स्थापना एक मठिया के रूप में की गई। यहाँ 19वी शताब्दी के ख्याति प्राप्त तपस्वी चमत्कारिक महात्मा वावा प्रयागदास की चरण पादुकाएं भी स्थित है।
पाढ़म
एका शिकोहावाद मार्ग पर स्थित परीक्षित नगरी पाढ़म के खण्डर एक विशाल खेड़े के रूप में अपने प्राचीन वैभव के ज्वलंत प्रमाण है यह खेड़ा एक किलो मीटर की वृत्ताकार परधि में स्थित है |
कोटला का किला
हिरनगांव से लगभग 12 किलोमीटर दूरी पर 1884 के गजेटियर के अनुसार कोटला का किला जिसकी खाई 20 फ़ीट चोडी, 14 फुट गहरी, 40 फुट ऊँची दर्शाई गई है भूमि की परधि 284 फ़ीट उत्तर 220 फ़ीट दक्षिण तथा 320 फ़ीट पूर्व तथा 480 फ़ीट पछिम में थी वर्तमान में ये किला नस्ट हो गया है किन्तु अब भी उसके अभिषेश देखने को मिलते है।
रपडी
शिकोहाबाद से दक्षिण किनारे यमुना नदी के निकट रपडी जागीर के अवशेष आज भी विधमान है कहा जाता है कि राव जोरावर सिंह ने रपडी को वसाय था उनके वंशजों को मोहम्मद गौरी से 1194 में युद्ध करना पड़ा जागीर के अवशेष आज भी यमुना नदी किनारे समान है आओ जरा वर्शन के राज्य का विस्तार यमुना के कारण और प्रभाव आग मुस्तफाबाद घिरोर और बरनाहल के परगने तक है|
सांती
फ़िरोज़ाबाद से लगभग 13 किलो मीटर दूर उत्तर दिशा में सांती ग्राम स्थित है यहाँ पर लगभग 100 बीघा में स्थित एक प्राचीन खेरा तथा शिवजी का मंदिर है कहा जाता है कि प्राचीन समय में राजा शान्तनु का यहाँ किला था फाल्गुन माह के कृष्न पक्ष की त्रयोदसी के दिन यहाँ प्रत्येक वर्ष हजारो की संख्या में भक्तजन गंगा से जल लाकर कावर चढ़ाते है एवम् उसी दिन मेला भी लगता है यह मेला लगभग 200 वर्ष पुराना वताया गया है।